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मोदी सरकार कैशलेस ट्रांजैक्शन को अब नए लेवल पर ले जाने की तैयारी है। इसके तहत केंद्र सरकार के विभागों में करप्शन कंट्रोल करने के लिए फेसलेस ट्रांजैक्शन करने की तैयारी है। जिससे कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आम आदमी को किसी सरकारी कर्मचारी से मिलने की जरूरत ही नहीं पड़े। सब कुछ बिना किसी मैन्युअल हस्तक्षेप के पूरा हो जाय।
क्या चाहती है सरकार?
केंद्र सरकार करप्शन को रोकने के लिए गवर्नमेंट सर्विसेज की डिलिवरी के लिए सरकारी कर्मचारियों का दखल खत्म करना चाहती है। यानी जो भी सर्विसेज लोगों को चाहिए, उसके लिए उसे सरकारी अधिकारी के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़े। इसे ही सरकार फेसलेस ट्रांजैक्शन के रुप में डेवलप करना चाहती है।
क्या है प्लान?
ड्रॉफ्ट पेपर के अनुसार सरकार तीन तरह की कैटेगरी के जरिए गवर्नमेंट सर्विसेज पहुंचाना चाहती है।
मोदी सरकार कैशलेस ट्रांजैक्शन को अब नए लेवल पर ले जाने की तैयारी है। इसके तहत केंद्र सरकार के विभागों में करप्शन कंट्रोल करने के लिए फेसलेस ट्रांजैक्शन करने की तैयारी है। जिससे कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए आम आदमी को किसी सरकारी कर्मचारी से मिलने की जरूरत ही नहीं पड़े। सब कुछ बिना किसी मैन्युअल हस्तक्षेप के पूरा हो जाय।
क्या चाहती है सरकार?
केंद्र सरकार करप्शन को रोकने के लिए गवर्नमेंट सर्विसेज की डिलिवरी के लिए सरकारी कर्मचारियों का दखल खत्म करना चाहती है। यानी जो भी सर्विसेज लोगों को चाहिए, उसके लिए उसे सरकारी अधिकारी के पास जाने की जरूरत ही नहीं पड़े। इसे ही सरकार फेसलेस ट्रांजैक्शन के रुप में डेवलप करना चाहती है।
क्या है प्लान?
ड्रॉफ्ट पेपर के अनुसार सरकार तीन तरह की कैटेगरी के जरिए गवर्नमेंट सर्विसेज पहुंचाना चाहती है।
- कैशलेस ट्रांजैक्शन के तहत पेमेंट गेटवे, ई-वॉलेट, ई-केवाईसी, यूपीआई सर्विसेज को शामिल किया जाएगा।
- पेपरलेस ट्रांजैक्शन के तहत डिजिटल लॉकर, ई-सिग्नेचर, ई-फॉर्म, ई-फाइलिंग, रिकॉर्ड्स को डिमैटेरियलाइज्ड करना
- फेसलेस ट्रांजैक्शन के तहत आधार लिंकेज, ई-केवाईसी, डिजिटल ट्रांजैक्शन, ई-सिग्नेचर, मोबाइल आधार डिजिटल पहचान
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