Friday 24 March 2017

रिटेल लोन से नोटबंदी का असर हटा: सिबिल

रिटेल लोन्स, यानि होम लोन, ऑटो लोन्स की मांग पर नोटबंदी का असर अब खत्म हो रहा है। लेकिन लोन देने में बैंक अभी भी हिचकिचा रहे हैं। नोट बंदी में मंद पड़ चुकी रिटेल लोन्स की मांग अब वापस जोर पकड़ रही है, ट्रांसयूनियन सिबिल की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2016 में रिटेल लोन्स की मांग में कोई ग्रोथ नहीं हुई, जबकि दिसंबर में 9 फीसदी, जनवरी 2017 में 25 फीसदी और फरवरी में 15 फीसदी का इजाफा हुआ। सबसे अधिक मांग पर्सनल लोन, ऑटो लोन और होम लोन की है। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स लोन की मांग 18 फीसदी, पर्सनल लोन की मांग 15 फीसदी  और क्रेडिट कार्ड की अप्लीकेशन में 20 से 30 फीसदी की ग्रोथ हुई है।

 

ट्रांसयूनियन सिबिल के मुताबिक रिटेल लोन्स की मांग तो बढ़ी है मगर लोन देने में उतनी तेजी नहीं दिख रही है। कर्ज देने में अनावश्यक सावधानी बरती जा रही है और क्रेडिट इंडस्ट्री सिर्फ 10-15 फीसदी की औसत से बढ़ रही है।

 

नवंबर 2015 की तुलना में नवंबर 2016 में 12 फीसदी की गिरावट के साथ कुल क्रेडिट दी गई। यह रुझान दिसंबर 2016 में जारी रहा, 2015 की तुलना में 13 फीसदी कम क्रेडिट वितरण हुआ। दिसंबर 2015 की तुलना में दिसम्बर 2016 में पीएसयू बैंकों के क्रेडिट वितरण में सबसे बड़ी 50 फीसदी की कमी दिखाई देती है।जानकारों का मानना है कि लोन देने में कंजूसी की कोई खास वजह नजर नहीं आती। लोग समय पर लोन चुका रहे हैं। ऑटो लोन और क्रेडिट कार्ड का रीपेमेंट सामान्य है। टू व्हीलर और होम लोन रीपेमेंट में थोड़ी देरी जरूर दिख रही है।

 

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