Thursday, 15 June 2017

GST का असर, भारत में गोल्ड पर डिस्काउंट बढ़ा

लोकल मार्केट में गोल्ड 3-4 डॉलर प्रति औंस के डिस्काउंट पर मिल रहा है क्योंकि 1 जुलाई से जीएसटी के लागू होने की वजह से ज्वैलर्स इसका स्टॉक रखने के मूड में नहीं हैं। उनका ध्यान पुराने स्टॉक को निकालने पर है। इससे इस महीने गोल्ड इंपोर्ट में कमी आ सकती है, जिसके मई में 126 टन रहने का अनुमान है।

बुलियन डीलरों का कहना है कि मार्केट में गोल्ड की मांग बहुत कम है, इसलिए यह डिस्काउंट पर मिल रहा है। रिद्धिसिद्धि बुलियन के डायरेक्टर मुकेश कोठारी ने बताया 'जीएसटी लागू होने के बाद गोल्ड की खरीदारी बढ़ेगी और उसका मार्केट पर असर भी होगा।' भारत में सालाना 850-950 टन गोल्ड की खपत होती है।

 

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इंडस्ट्री एग्जिक्यूटिव्स ने बताया कि ज्वैलर्स के गोल्ड का स्टॉक तैयार नहीं करने की कई वजहें हैं। इंडिया बुलियन एंड ज्वैलरी एसोसिएशन के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने बताया कि स्टॉक पर 1 पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी पर सेनवैट बेनेफिट नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया, 'इसका मतलब यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें एक्साइज ड्यूटी पर रिफंड नहीं मिलेगा। दूसरी बात यह है कि कई ज्वैलर्स के पास इलीगल स्टॉक है, जिसे वे जीएसटी लागू होने से पहले निकालने को मजबूर हैं। तीसरी ,जीएसटी लागू होने के बाद उन्हें रेगुलर इनवेंटरी की जानकारी देनी होगी। इसलिए ज्वैलर्स पुराना स्टॉक निकाल रहे हैं।' मेहता ने बताया कि इसी वजह से गोल्ड पर अभी डिस्काउंट मिल रहा है।

 

जीएसटी में एक राज्य से दूसरे राज्य में गोल्ड ले जाने पर टैक्स लगेगा, लेकिन सामान की बिक्री के बाद उसका रिफंड क्लेम किया जा सकता है। मिसाल के लिए, अगर किसी नेशनल रिटेलर के पास एक राज्य में ज्यादा ज्वैलरी स्टॉक है और वह दूसरे राज्य में ट्रांसफर करना चाहता है तो उसे आईजीएसटी का भुगतान करना होगा। हालांकि, बाद में वह सेल्स रेवेन्यू से आईजीएसटी को एडजस्ट कर सकता है। 

 

जीएसटी के लागू होने के बाद ग्राहकों की आदतों के बदलने के भी कयास लगाए जा रहे हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने जीएसटी पर अपनी रिपोर्ट में कहा था, '26 साल के हमारे डेटा की स्टडी से पता चलता है कि टैक्स बढ़ने पर गोल्ड की मांग पर असर पड़ता है।

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